आपस्तम्ब धर्मसूत्र वाक्य
उच्चारण: [ aapestemb dhermesuter ]
उदाहरण वाक्य
- 8 ; [[आपस्तम्ब धर्मसूत्र]], 1 ।
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र (1.22.2) में आता हैः आत्मलाभात् परं लाभं न विद्यते ।
- डॉ. जॉली गौतम धर्मसूत्र को [[आपस्तम्ब धर्मसूत्र]] से शताब्दियों पूर्व मानते हैं।
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र (1.22.2) में आता हैः आत्मलाभात् परं लाभं न विद्यते ।
- इसी प्रकार आपस्तम्ब धर्मसूत्र के श्लोक १, ५, १७, १९ में भी गोमांसाहार पर एक प्रतिबंध लगाया है।
- बौधायन धर्मसूत्र, आपस्तम्ब धर्मसूत्र और वासिष्ठ धर्मसूत्रों में हारीत को बार-बार उद्धत किया गया है।
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र [120] ने अधोलिखित सूचना दी है-'पुराने काल में मनुष्य एवं देव इसी लोक में रहते थे।
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र [1] के अनुसार गार्हस्थ्य, आचार्यकुल (ब्रह्मचर्य), मौन और वानप्रस्थ चार आश्रम थे।
- आपस्तम्ब धर्मसूत्र के १४, १५, और १७वें श्लोक में ध्यान देने योग्य है, “गाय और बैल पवित्र है इसलिये खाये जाने चाहिये”।
- [[आपस्तम्ब धर्मसूत्र | आपस्तम्ब]] ने दस नाम लिखे हैं, जिनमें एक, कुणिक, पुष्करसादि केवल व्यक्ति-नाम हैं।
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